Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Ek din pao tali dharti na hogia”,” एक दिन पाँओं तले धरती न होगी!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक दिन पाँओं तले धरती न होगी!

 Ek din pao tali dharti na hogi

 

याद आती है मुझे तुमने रहा था,

एक दिन पाँओं तले धरती न होगी!

जग कहेगा गीत ये जीवन भरे हैं,

ज़िन्दगी इन स्वरों में बँधती न होगी!

आज पाँओं के तले धरती नहीं है,

दूर हूँ मैं एक चिर-निर्वासिता-सी,

काल के इस शून्य रेगिस्तान पथ पर,

चल रही हूँ तरल मधु के कण लुटाती!

उन स्वरों के गीत जो सुख ने न गाये,

स्वर्ग सपनों की नहीं जो गोद खेले,

हलचलों से दूर अपने विजन पथ पर

छेड़ना मत विश्व, गाने दो अकेले!

कहां इंसां को मिला है वह हृदय,

जिसको कभी भी कामना छलती न होगी

याद फिर आई मुझे तुमने कहा था,

एकदिन पाँओं तले धरती न होगी

 

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