Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Machuara”,” मछुआरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मछुआरा

 Machuara

 

मछुआरा फिर से जाल समेटेगा!

हो सावधान री, प्राणों की मछली ,

तू कितनी बार बची आई ,फिसली ,

हर बार नहीं बच पाता कोई भी ,

चुक जातीं सब भूलें पिछली-अगली!

बंसी में डोरी ,डोरी में काँटा ,

हर बार नया भर चारा , फेंकेगा!

मछुआरा फिर से जाल समेटेगा!

गहरा पानी ,हर जगह जाल फैले ,

क्या फँसी नहीं मछलियाँ कभी पहले?

इस बार अगर बच भी निकली तो क्या ,

कुछ पल तल -सतहों को अपना कह ले!

खेले बिन उसको चैन कहाँ  आये

साँसों की डोरी झटक  लपेटेगा!

फिर से मछुआरा जाल समेटेगा!

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