Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Me chetna hu”,” मै चेतन हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मै चेतन हूँ

 Me chetna hu

 

मै चेतन हूँ, मुझको ये जडता के बंधन स्वीकार नहीं,

उन्मुक्त पगों को मनचाहा चलने दो प्रिय,

मुझको इस उथले जग जीवन से प्यार नहीं!

ये निष्क्रिय चेतनता लेकर मैं इससे क्या निर्माण करूँ,

इस बँधे हुये जग-जीवन में कैसे अपने उद्गार भरूँ,

मैं मुक्त गगन की चल चपला, बंधन स्वीकीर नहीं मुझको

पर नभ से भाग न जाऊँगी, मेरा अनुपम संसार यहीं!

ये बँधी हुई वाणी, बंधनमय गति, ये बँधे हृदय,

ये झरते से विश्वास और अंतर मे छिपे हुये संशय!

मेरा कल्पना लोक विस्तृत, अधिकार नहीं सीमाओं का,

पर चुभनेवाले स्वतंत्रता के ध्वंस मुझे स्वीकार नहीं!

ये बढती हुई पिपासायें, ये मानव के गिरते से डग,

विज्ञानो के निर्मम प्रयोग, ये संस्कृतियों के पग डगमग,

ये मूक उदास चरण, ,ये प्रतिक्षण बुझती जाती स्नेह-शिखा

ये दूर दूर ही रहें न करलें हम पर भी अधिकीर कहीं!

युग की आँखों ने देखा है वह प्रलय कि जो होनेवाला!

वह ध्वंस, नहीं निर्माण, आँधियों से पूरित, भीषण ज्वाला!

उठ रही क्षितिज से ऊपर प्रलयंकरी ज्वाल,

आलोक शिखा यह नहीं, वसंती पुष्पों का शृंगार नहीं!

यह विषमय मंथन और सृष्टि मे बिछता जाता घोर गरल,

अणु ज्वालाओं मे जल कर सुन्दर सृष्टि, बचेगी क्षार अतल!

युग की आँखों फेरो न दृष्टि, जागो, औ कवि के स्वर जागो,

स्वीकार न करना वह करुणा जिस को मानव से प्यार नहीं!

 

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