Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Me tumhara shankh hu”,” मैं तुम्हारा शंख हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं तुम्हारा शंख हूँ

 Me tumhara shankh hu

 

ज्योति से करतल किरण सी अँगुलियों में

मैं तुम्हारी चेतना का उच्छलित कण

मैं तुम्हारा शंख हूँ ,

तुम फूँक भर-भऱ कर बजाओ!

परम काल प्रवाह का बाँधा गया क्षण

तुम्हीं से होता स्वरित मैं सृष्टि  स्वन हूँ!

मैं तुम्हारी दिव्यता का सूक्ष्म कण  हूँ!

महाकाशों में निनादित आदि स्वर का .

दस दिशाओं में प्रवर्तित गूँजता रव 

हो प्रकंपित,

दिशा के आवर्तनों के शून्य भर भर!

पंचभौतिक काय में  निहितार्थ लेकर

मैं तुम्हारी अर्चना का लघु कलेवर!

फूँक दो वे कण कि हो जीवन्त मृणता

इस विनश्वर देह में वह गूँज भर दो ,

पंचतत्वों के विवर को शब्द  दे कर

आत्म से परमात्म तक संयुक्त कर दो ,

सार्थकत्व प्रदान कर दो!

मैं तुम्हारा शंख हूँ ,स्वर दे बजाओ!

मैं तुम्हारा शंख हूँ

तुम फूँक भर-भऱ कर बजाओ!

उस परम चैतन्य पारावार की चिरमग्नता से,

किसी बहकी लहर ने झटका किनारे

और अब इस काल की उत्तप्त बालू में अकेला

आ पड़ा हूँ!

उठा लो कर में ,मुझे धो स्वच्छ कर दो!

भारती माँ,वेदिका पर स्थान दे दो!

फूंक भर भर कर बजाओ आरती में,

जागरण के मंत्र में

अनुगूँज मेरी भी मिलाओ!

मैं तुम्हारी चेतना का उच्छलित कण ,

मैं तुम्हारा शंख हूँ

तुम फूँक भर-भऱ कर बजाओ!

मैं तुम्हार अंश हूँ ,

वह दिव्यता स्वर में जगाओ!

मैं तुम्हारा शंख हूँ!

 

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