Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Mohe tv mangaye de”,”मोहे टी.वी. मँगाय दे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मोहे टी.वी. मँगाय दे

 Mohe tv mangaye de

 

मोहे टी.वी. मँगाय दे मैं टिविया पे राजी!

जा पै होइ रँगवारो टीवी करौं ओही से सादी!

काला और सुपेद न भावै,टीवी बस रंगवारो,

बिना रँगन को मजा न आवे तुमहू नेक विचारो!

छैल-छबीली फर्वट छोरी दो करवाय मुनादी

मरद चलेगा लंबा-नाटा काला-गोरा कोई,

मोटा पातर,मूँछ-निमूछा फरक पड़े ना कोई!

दिन भर बाहर रहै मरद,रौनक टीवी से हाँ,जी!

बंदर जैसा हो कोई, जा की महरारू सुन्दर,

हर देखैवाले के हिय मां हूक उठै रह रह कर!

सरत लगा ले कोई चाहे,हौं ही जितिहौं बाजी!

पढ़ी-लिखी तो नहीं खास पर समझूँ ढाई आखर,

उइसे ही सब कहें सयानी,का होई पोथी पढ़

ज्यादा पढी-लिखी छोरी तो लगे सभी की दादी!

जइस खुदा जी खुदै देत सक्कर खोरेन का सक्कर,

हमरा भी हुइ जाई कलर टीवी वाले सों चक्कर

टी.वी.वाला राजी तो फिन का कर लेई काजी!

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.