Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Naye sanskaran”,” नये संस्करण” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नये संस्करण

 Naye sanskaran

 

आज सामने हो मेरे ,

कल नहीं होगे!

तुम्हारे साथ होने का यह काल

जीवन का बहुत सार्थक,

बहुत सुन्दर काल रहा!

पढ़ाते हुये और पढ़ते हुये तुम्हें,

निरखती रही अपने ही नये संस्करण,

मेरे परम प्रिय छात्र!

कोशिश करती रही

तुम्हें जानने की ,समझने की.

अगर बूझ सकी तुम्हें

तो मेरे प्रयास सार्थक .

अन्यथा –

ये उपाधियाँ व्यर्थ ,

प्रयास खोखले,

अध्ययन-अध्यापन मात्र दंभ.

सब निष्फल!

उपलब्धि शून्य!

पर मैं देख रही हूँ

कुछ बेकार नहीं गया –

लगातार एक नई समझ

पाते रहे हम-तुम.

मेरे अंतस की ऊर्जा में पके,

अक्षरों के नेह सिझे बीज

सही माटी में पड़े.

इस आत्म का एक अंश तुममें प्रस्थापित,

और मैं निश्चिन्त!

तुम्हारे नयनों में पाई

उजास किरणों की पुलक.

यही था काम्य मेरा!

तुमसे पाया अथाह स्नेह-सम्मान,

अजस्र भाव-प्रवाह .

मेरी उपलब्धि!

सँजोये लिये जा रही हूँ,

गाँठ में बाँध-

मेरा पाथेय यही!

संभावनाओं भरे जीवन की

आगत पौध विकसते देख रहे हैं ,

मेरे तरलित नयन!

आज यह अध्याय भी समाप्त –

मेरे तुम्हारे बीच के पाठ

पूरे हुये!

मैं जहां तक थी,

तुम्हें ले आई.

अब बिदा!

इस कामना के साथ

कि आगे का उचित मार्ग

द्विधा रहित होकर ,

तुम स्वयं चुन सको,

और मंगलमय भविष्य

तुम्हारे स्वागत को प्रस्तुत हो!

 

 

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