Hindi Poem of Pratibha Saksena “  O re sawan is baar jara jaldi aana”,”ओ रे, सावन इस बार जरा जल्दी आना!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ओ रे, सावन इस बार जरा जल्दी आना!

 O re sawan is baar jara jaldi aana

 

आ रही याद जाने कितनी उस आँगन की,

क्या पता कहीं कुछ शेष रह गई हो डोरी .

अब नए रंग में रँगे हुए अपने घर की,

उन कमरों की जिनमें अबाध गति थी मेरी,

अपनी आँखों से एक बार जाकर देखूँ

अनुमानों से संभव न रहा अब बहलाना!

शायद कोई भूले-भटके ही आ जाए

आपा-धापी में स्नेहिल नाते रीत गए

जो बिखर गए टूटी माला के मनकों से,

उनको समेटने दिन कब के बीत गए .

इस बार बुलाने को खत ही काफ़ी होगा,

मुश्किल लगता है पूरा बरस बिता पाना!

ओ रे, सावन इस बार जरा जल्दी आना!

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.