Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Prashan”,” प्रश्न” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रश्न

 Prashan

 

जब अपने से छोटे,

और उनसे भी छोटे

रुख़सत हो,

निकलते चले जाते हैं सामने से

एक-एक कर,

अपना जीवन अपराध लगता है

जब वंचित रह जाते हैं लोग,

उस सबसे जो हमने पाया

तरसते देख गुनाह लगती हैं

अपनी सुख-सुविधायें,

कि दूसरे का हिस्सा

हम दबाये बैठे हैं

अपनी सारी क्षमतायें बेकार

कि अब कौन सी सार्थकता

बाकी रह गई?

भाग्यशाली हैं वे,

जो जीवन-मृत्यु को

सही सम्मान दे,

समय से प्रस्थान कर जाते हैं

 

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