Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Sara Akash”,” सारा आकाश” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सारा आकाश

 Sara Akash

 

बस पंख सलामत रहें

सारा आकाश तुम्हारा

कोई घेरा .

काफ़ी नहीं तुम्हारे लिये

न सीमित करती कोई कारा .

पंख जहाँ ले जायँ,

वहीं पर लिखा दे नाम तुम्हारा .

नाम जो मेरे स्व का विस्तार

दिया तुम्हें मेरी अस्मिता ने

जहाँ तक तुम्हारी पहुँच,

व्यप्ति है मेरी!

समर्थ रहें पंख,

स्वतंत्र, सचेत, निर्बाध!

और सारा आकाश तुम्हारा .

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.