Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Shabd mere he”,” शब्द मेरे हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शब्द मेरे हैं

 Shabd mere he

 

शब्द मेरे हैं

अर्थ मैंने ही दिये ये शब्द मेरे हैं!

व्यक्ति औ अभिव्यक्ति को एकात्म करते जो ,

यों कि  मेरे आत्म का प्रतिरूप  धरते हों!

स्वरित मेरे स्वत्व के

मुखरित बसेरे हैं!

शब्द मेरे हैं!

स्वयं वाणी का कलामय तंत्र अभिमंत्रित,

लग रहा ये प्राण ही शब्दित हुये मुखरित,

सृष्टि के संवेदनों की चित्र-लिपि धारे

सहज ही सौंदर्य के वरदान से मंडित!

शाम है विश्राममय

मुखरित सबेरे हैं!

शब्द मेरे हैं!

बाँसुरी ,उर-तंत्र में झंकार भरती जो ,

अतीन्द्रिय अनुभूति बन गुंजार करती जो

निराकार प्रकार  को साकार करते जो

मनोमय हर कोश के

सकुशल चितेरे हैं!

शब्द मेरे हैं!

व्याप्ति है मैं’ की जहाँ तक विश्व- दर्पण में ,

प्राप्ति है जितनी कि निजता  के समर्पण में

भूमिका धारे वहन की अर्थ-तत्वों के,

अंजली भर -भर  दिशाओं ने बिखेरे हैं!

पूर्णता पाकर अहेतुक प्रेम से  लहरिल

मनःवीणा ने अमल स्वर ये बिखेरे हैं!

ध्वनि समुच्चय ही न

इनके अर्थ गहरे  हैं !

शब्द मेरे हैं!

प्रतिभा.

शब्द मेरे हैं!

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