Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Yatra”,” यात्रा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

यात्रा

 Yatra

 

पुकार आ रही है!

आसार बन रहे हैं एक नई यात्रा के!

आहट सुन कसक उठी भीतर से;

हर यात्रा की पूर्व संध्या होता है ऐसा!

सीमित आत्म से निकल

विराट् में प्रवेश करने का द्वार 

यात्रा!

तैयार हो लूँ!

जहाँ  ,जिस तरह रही  ,

घेरे से  बाहर निकल आऊँ 

सारा ताम-झाम छोड़!

बिदा ,प्रिय स्मृतियों ,आशाओं-इच्छाओं ,संबंधों ,

स्वीकार लो प्रणाम मेरा ,

कि आगे निकल सकूँ,

निरी एकाकी ,निरुद्विग्न और निरपेक्ष!

कि नये दृष्य ,नये अनुभव,

मुक्त चेतना में समा सकें ,

कि एकदम अनाम अनुभूतियाँ

अजाने संवेदन ग्रहण करने को

मन के स्तर  खुल जायें!

रह जाऊँ एकदम

खाली स्लेट,

कि होनेवाले अंकन सुस्पष्ट रहें!

 

 

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