Hindi Poem of Purnima Verman “Khoya Khoya mann“ , “खोया खोया मन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

खोया खोया मन
Khoya Khoya mann

जीवन की आपाधापी में
खोया खोया मन लगता है
बड़ा अकेलापन
लगता है
दौड़ बड़ी है समय बहुत कम
हार जीत के सारे मौसम
कहाँ ढूंढ पाएँगे उसको
जिसमें –
अपनापन लगता है
चैन कहाँ अब नींद कहाँ है
बेचैनी की यह दुनिया है
मर खप कर के-
जितना जोड़ा
कितना भी हो कम लगता है
सफलताओं का नया नियम है
न्यायमूर्ति की जेब गरम है
झूठ बढ़ रहा-
ऐसा हर पल
सच में बौनापन लगता है
खून ख़राबा मारा मारी
कहाँ जाए जनता बेचारी
आतंकों में-
शांति खोजना
केवल पागलपन लगता है

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