Hindi Poem of Raghuveer Sahay “जब मैं तुम्हें Jab me tumhe“ , “जब मैं तुम्हें” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जब मैं तुम्हें

Jab me tumhe

जब मैं तुम्हारी दया अंगीकार करता हूँ

किस तरह मन इतना अकेला हो जाता है?

सारे संसार की मेरी वह चेतना

निश्चय ही तुम में लीन हो जाती होगी ।

तुम उस का क्या करती हो मेरी लाडली—

—अ‍पनी व्यथा के संकोच से मुक्त होकर

जब मैं तुम्हे प्यार करता हूँ ।

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