जब मैं तुम्हें
Jab me tumhe
जब मैं तुम्हारी दया अंगीकार करता हूँ
किस तरह मन इतना अकेला हो जाता है?
सारे संसार की मेरी वह चेतना
निश्चय ही तुम में लीन हो जाती होगी ।
तुम उस का क्या करती हो मेरी लाडली—
—अपनी व्यथा के संकोच से मुक्त होकर
जब मैं तुम्हे प्यार करता हूँ ।