Hindi Poem of Raghuveer Sahay “Akhbarwala “ , “अख़बारवाला” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अख़बारवाला
Akhbarwala

धधकती धूप में रामू खड़ा है
खड़ा भुलभुल में बदलता पाँव रह रह
बेचता अख़बार जिसमें बड़े सौदे हो रहे हैं ।

एक प्रति पर पाँच पैसे कमीशन है,
और कम पर भी उसे वह बेच सकता है
अगर हम तरस खायें, पाँच रूपये दें
अगर ख़ैरात वह ले ले ।

लगी पूँजी हमारी है छपाई-कल हमारी है
ख़बर हमको पता है, हमारा आतंक है,
हमने बनाई है
यहाँ चलती सड़क पर इस ख़बर को हम ख़रीदें क्यो?
कमाई पाँच दस अख़बार भर की क्यों न जाने दें?

वहाँ जब छाँह में रामू दुआएँ दे रहा होगा
ख़बर वातानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी
करेगी कौन रामू के तले की भूमि पर कब्ज़ा ।

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