Hindi Poem of Raghuveer Sahay “Gulami“ , “गुलामी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गुलामी

Gulami

मनुष्य के कल्याण के लिए

पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह औऱ कुछ

सोच न पाए

फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली ज़रूरत रोटी है

जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंज़ूर करेगा

फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि

अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है

और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों

जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी क्या बुरी है

तुम्हें रोटी तो मिल रही है एक जून।

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