Hindi Poem of Raghuveer Sahay “Hamari Hindi“ , “हमारी हिंदी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हमारी हिंदी

Hamari Hindi

हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीबी है

बहुत बोलने वाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली

गहने गढ़ाते जाओ

सर पर चढ़ाते जाओ

वह मुटाती जाए

पसीने से गन्धाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाए

पड़ोसिनों से जले

कचरा फेंकने को लेकर लड़े

घर से तो ख़ैर निकलने का सवाल ही नहीं उठता

औरतों को जो चाहिए घर ही में है

एक महाभारत है  एक रामायण है  तुलसीदास की भी राधेश्याम की भी

एक नागिन की स्टोरी बमय गाने

और एक खारी बावली में छपा कोकशास्त्र

एक खूसट महरिन है परपंच के लिए

एक अधेड़ खसम है जिसके प्राण अकच्छ किये जा सकें

एक गुचकुलिया-सा आँगन  कई कमरे कुठरिया एक के अंदर एक

बिस्तरों पर चीकट तकिए   कुरसियों पर गौंजे हुए उतारे कपड़े

फ़र्श पर ढंनगते गिलास

खूंटियों पर कुचैली चादरें जो कुएँ पर ले जाकर फींची जाएँगी

घर में सबकुछ है जो औरतों को चाहिए

सीलन भी और अंदर की कोठरी में पाँच सेर सोना भी

और संतान भी जिसका जिगर बढ गया है

जिसे वह मासिक पत्रिकाओं पर हगाया करती है

और ज़मीन भी जिस पर हिंदी भवन बनेगा

कहनेवाले चाहे कुछ कहें

हमारी हिंदी सुहागिन है  सती है  खुश है

उसकी साध यही है कि खसम से पहले मरे

और तो सब ठीक है पर पहले खसम उससे बचे

तब तो वह अपनी साध पूरी करे ।

 

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