इतने शब्द कहाँ हैं
Itne Shabd kaha hai
इतने अथवा ऐसे शब्द कहाँ हैं जिनसे
मैं उन आँखों कानों नाक दाँत मुँह को
पाठकवर
आज आप के सम्मुख रख दूँ
जैसे मैंने देखा था उनकों कल परसों।
वह छवि मुझ में पुनरुज्जीवित कभी नहीं होती है
वह मुझ में है। है वह यह है
मैं भी यह हूँ
मेरे मुख पर अक्सर जो आभा होती है।