Hindi Poem of Raghuveer Sahay “Lakho ka dard“ , “लाखों का दर्द” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लाखों का दर्द

Lakho ka dard

लखूखा आदमी दुनिया में रहता है

मेरे उस दर्द से अनजान जो कि हर वक़्त

मुझे रहता है हिन्दी में दर्द की सैकड़ों

कविताओं के बावजूद

और लाखों आदमियों का जो दर्द मैं जानता हूँ

उससे अनजान

लखूखा आदमी दुनिया में रहे जाता है।

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