कामना
Kamna
जहाँ स्वतंत्र विचार न बदले मन में मुख में।
जहाँ न बाधक बनें सबल निबलों के सुख में।
सब को जहाँ समान निजोन्नति का अवसर हो।
शांतिदायिनी निशा हर्ष सूचक वासर हो।
सब भाँति सुशासित हों जहाँ
समता के सुखकर नियम।
बस, उसी स्वतंत्र स्वदेश में
जागें हे जगदीश! हम॥