Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Aam ke patte“ , “आम के पत्ते” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आम के पत्ते

Aam ke patte

वह जवान आदमी

बहुत उत्साह के साथ पार्क में आया

एक पेड़ की बहुत सारी पत्तियाँ तोड़ीं

और जाते हुए मुझसे टकरा गया

पूछा-

अंकल जी, ये आम के पत्ते हैं न

नहीं बेटे, ये आम के पत्ते नहीं हैं

कहाँ मिलेंगे पूजा के लिए चाहिए

इधर तो कहीं नहीं मिलेंगे

हाँ, पास के किसी गाँव में चले जाओ

वह पत्ते फेंककर चला गया

मैं सोचने लगा-

अब हमारी सांस्कृतिक वस्तुएँ

वस्तुएँ न रह कर

जड़ धार्मिक प्रतीक बन गई हैं

जो हमारे पूजा-पाठ में तो हैं

किन्तु हमारी पहचान से गायब हो रही हैं।

 

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