Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Abhari hu bahut dosto“ , “आभारी हूँ बहुत दोस्तों” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आभारी हूँ बहुत दोस्तों

Abhari hu bahut dosto

आभारी हूँ बहुत दोस्तो, मुझे तुम्हारा प्यार मिला

सुख में, दुख में, हार-जीत में एक नहीं सौ बार मिला!

सावन गरजा, भादों बरसा, घिर-घिर आई अँधियारी

कीचड़-कांदों से लथपथ हो, बोझ हुई घड़ियाँ सारी

तुम आए तो लगा कि कोई कातिक का त्योहार मिला!

इतना लम्बा सफ़र रहा, थे मोड़ भयानक राहों में

ठोकर लगी, लड़खड़ाया, फिर गिरा तुम्हारी बाँहों में

तुम थे तो मेरे पाँवों को छिन-छिनकर आधार मिला!

आया नहीं फ़रिश्ता कोई, मुझको कभी दुआ देने

मैंने भी कब चाहा, दूँ इनको अपनी नौका खेने

बहे हवा-से तुम, साँसों को सुन्दर बंदनवार मिला!

हर पल लगता रहा कि तुम हो पास कहीं दाएँ-बाएँ

तुम हो साथ सदा तो आवारा सुख-दुख आए-जाए

मृत्यु-गंध से भरे समय में जीवन का स्वीकार मिला!

 

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