Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Ek Neem manjri“ , “एक नीम-मंजरी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक नीम-मंजरी

Ek Neem manjri

एक नीम-मंजरी

मेरे आँगन झरी

काँप रहे लोहे के द्वार।

आज गगन मेरे घर झुक गया

भटका-सा मेघ यहाँ रुक गया

रग-रग में थरथरी

सन्नाटा आज री

रहा मुझे नाम ले पुकार।

एक बूँद में समुद्र अँट गया

एक निमिष में समय सिमट गया

वायु-वायु बावरी

किसकी है भाँवरी

साँस-साँस बन रही फुहार।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.