Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Savan aa gayil“ , “सावन आ गइल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सावन आ गइल

Savan aa gayil

घेरि-घेरि उठलि घटा घनघोर और कजरार, सावन आ गइल!

बेबसी के पार ओते, अवरु हम ए पार, सावन आ गइल!

घिरि अकासे उड़े बदरा, मेंह बरसे छाँह प्यारी ओ!!

जरत बाटी हम तरे कल, क पकड़ के बाँहि, प्यारी ओं!

लड़ति बा चिमनी घटा से, रोज धुआँधार, सावन आ गइल!!

उठति बा मन में तोहें, कजरी पुकारि-पुकारि, प्यारी ओ!

झकर-झकर मसीन लेकिन, देति बा सुर फारि, प्यारी ओ!!

रहे नइखे देति कल से, ई बेदर्द बयार, सावन आ गइल!

खेत में बदमास बदरा, लेत होइहें घेरि, प्यारी ओ!!

छेह पर लुग्गा सुखत होई, तोरे अधफेरि, प्यारी ओ!

पेट जीअत होई पापी, खाइ-खाइ उधार, सावन आ गइल!!

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