Hindi Poem of Ramdarash Mishra “Vidabhas“ , “विदाभास” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विदाभास

Vidabhas

फिर हवा बहने लगी कहने लगीं वनराइयाँ

काँपने फिर-फिर लगीं ठहरी हुई परछाइयाँ।

थरथराने से लगे कुछ पंख अपने नीड़ में

एक छाया छू मुझे उड़, खो गई किसी भीड़ में

ताल फिर हिलने लगा, फटने लगी फिर काइयाँ।

एक भटकी नाव धारा पर निरखती दीठियाँ

प्रान्तरों को चीरतीं फिर इंजनों की सीटियाँ

अब कहाँ ले जाएंगी यायावरी तनहाइयाँ।

भीत पर अंकित दिनों के नाम फिर हिलने लगे

डायरी के पृष्ठ कोरे फड़फड़ा खुलने लगे

उभरने दृग में लगीं पथ की नमी गहराइयाँ।

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