Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Raja Basant Varsha Rituon ki Rani”, “राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी -रामधारी सिंह दिनकर

Raja Basant Varsha Rituon ki Rani – Ramdhari Singh Dinkar

राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी
लेकिन दोनों की कितनी भिन्न कहानी
राजा के मुख में हँसी कण्ठ में माला
रानी का अन्तर द्रवित दृगों में पानी

डोलती सुरभि राजा घर कोने कोने
परियाँ सेवा में खड़ी सज़ा कर दोने
खोले अंचल रानी व्याकुल सी आई
उमड़ी जाने क्या व्यथा लगी वह रोने

लेखनी लिखे मन में जो निहित व्यथा है
रानी की निशि दिन गीली रही कथा है
त्रेता के राजा क्षमा करें यदि बोलूँ
राजा रानी की युग से यही प्रथा है

नृप हुये राम तुमने विपदायें झेलीं
थी कीर्ति उन्हें प्रिय तुम वन गयीं अकेली
वैदेहि तुम्हें माना कलंकिनी प्रिय ने
रानी करुणा की तुम भी विषम पहेली

रो रो राजा की कीर्तिलता पनपाओ
रानी आयसु है लिये गर्भ वन जाओ

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