Hindi Poem of Raskhan “Kanchan mandir unche banai ke, “कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के

Kanchan mandir unche banai ke

 

कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के

मानिक लाइ सदा झलकेयत।

प्रात ही ते सगरी नगरी।

नाग-मोतिन ही की तुलानि तलेयत।

जद्यपि दीन प्रजान प्रजापति की

प्रभुता मधवा ललचेयत।

ऐसी भए तो कहा रसखानि जो

सँवारे गवार सों नेह न लेयत।

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