Hindi Poem of Raskhan “  Ladli lal lritra Lakhise ali, “लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि” Complete Poem for Class 10 and Class 12

लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि

 Ladli lal lritra Lakhise ali

 

लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि,

पुन्जनि कुन्जनी में छवि गाढ़ी।

उपजी ज्यौं बिजुरी सो जुरी चहुँ,

गूजरी केलिकलासम काढ़ी।

त्यौं रसखानि न जानि परै सुखमा तिहुँ,

लोकन की अति बाढ़ी।

बालन लाल लिये बिहरें,

छहरें बर मोर पखी सिर ठाढ़ी।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.