Hindi Poem of Raskhan “ Nain lakhyo jab kunjan te, “नैन लख्यो जब कुंजन तैं” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नैन लख्यो जब कुंजन तैं

 Nain lakhyo jab kunjan te

 

नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री।

सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै लटक्यो री।

को ‘रसखान कहै अटक्यो, हटक्यो ब्रजलोग फिरैं भटक्यो री।

रूप अनूपम वा नट को, हियरे अटक्यो, अटक्यो, अटक्यो री॥

 

 

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