Hindi Poem of Raskhan “ Phagun lagyo sakhi jab te, “फागुन लाग्यौ सखि जब तें” Complete Poem for Class 10 and Class 12

फागुन लाग्यौ सखि जब तें

Phagun lagyo sakhi jab te

 

फागुन लाग्यौ सखि जब तें, तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यौ है ।

नारि नवेली बचै नहीं एक, विसेष इहैं सबै प्रेम अँच्यौ है ॥

साँझ-सकारे कही रसखान सुरंग गुलाल लै खेल रच्यौ है ।

को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है ॥

 

 

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