Hindi Poem of Raskhan “ Pran vahi ju rahe rijhi vapar, “प्रान वही जु रहैं रिझि वापर” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्रान वही जु रहैं रिझि वापर

Pran vahi ju rahe rijhi vapar

 

प्रान वही जु रहैं रिझि वापर, रूप वही जिहिं वाहि रिझायो।

सीस वही जिहिं वे परसे पग, अंग वही जिहीं वा परसायो

दूध वही जु दुहायो वही सों, दही सु सही जु वहीं ढुरकायो।

और कहाँ लौं कहौं ‘रसखान री भाव वही जू वही मन भायो॥

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.