Hindi Poem of Raskhan “  Yah dekhi dhature ke pat chabat, “यह देखि धतूरे के पात चबात” Complete Poem for Class 10 and Class 12

यह देखि धतूरे के पात चबात

 Yah dekhi dhature ke pat chabat

 

यह देखि धतूरे के पात चबात औ गात सों धूलि लगावत है।

चहुँ ओर जटा अंटकै लटके फनि सों कफनी पहरावत हैं।

रसखानि गेई चितवैं चित दे तिनके दुखदुंद भाजावत हैं।

गजखाल कपाल की माल विसाल सोगाल बजावत आवत है।

 

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