Hindi Poem of Ravindra Bharamar “Nadi ke saath “ , “नदी के साथ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नदी के साथ

Nadi ke saath 

चलो, नदी के साथ चलें ।

नदी वत्सला है, सुजला है,

इसकी धारा में अतीत का दर्प पला है,

वर्तमान से छनकर यह भविष्य-पथ गढ़ती,

इसका हाथ गहें

युग की जय-यात्रा पर निकलें ।

चलो, नदी के साथ चलें ।

सदा सींचती जीवन-तट को,

स्नेह दिया करती आस्था के अक्षय-वट को,

घट को अनायास पावन पय से भर देती,

इसकी लहरों में उज्ज्वल कर्मों के-

पुण्य फलें ।

चलों, नदी के साथ चलें ।

इसके आँचल की छायाएँ,

मानस के गायत्री-प्रात, ॠचा-संध्याएँ,

लहरों पर इठलातीं दूरागत नौकाएँ

जादू की बाँसुरी बजाएँ

जिनमें गान ढलें ।

चलो, नदी के साथ चलें।

 

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