Hindi Poem of Ravindra Bharamar “Sindhu vela“ , “सिन्धु-वेला” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सिन्धु-वेला

 Sindhu vela

सिंधु-वेला ।

तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है, आह!

मेरा सीप, मेरा दूधिया घर,

क्या हुआ, किसने उजाड़ा मुझे

ज्वार आए, गए, जल-तल शाँत-निश्चल,

मैं यहाँ निरुपाय ऐसे ही तपूँगा ।

ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल ।

बहुत संभव, फिर न मुझको मिले

मेरा सीप, मेरा दूधिया घर ।

किंतु, माता-भूमि ।

आह! स्वर्गिक भूमि ।।

सिंधु, उसकी अनथही गहराइयाँ

शंख, घोंघे, मछलियाँ, साथी-संघाती,

आह! माता भूमि!

ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल ।

तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है ।

सिंधु-वेला ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.