Hindi Poem of Rituraj “Kanyadan“ , “कन्यादान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कन्यादान

 Kanyadan

कितना प्रामाणिक था उसका दुख

लड़की को दान में देते वक़्त

जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो

लड़की अभी सयानी नहीं थी

अभी इतनी भोली सरल थी

कि उसे सुख का आभास होता था

लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था

पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की

कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों की

माँ ने कहा पानी में झाँककर

अपने चेहरे में मत रीझाना

आग रोटियाँ सेंकने के लिए है

जलने के लिए नहीं

वस्त्र और आभूषण शब्दिक भ्रमों की तरह

बंधन हैं स्त्री-जीवन के

माँ ने कहा लड़की होना

पर लड़की जैसी मत दिखाई देना।

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