लहर
Lahar
द्वार के भीतर द्वार
द्वार और द्वार
और सबके अंत में एक नन्हीं मछली
जिसे हवा की ज़रूरत है
प्रत्येक द्वार
में अकेलापन भरा है
प्रत्येक द्वार में
प्रेम का एक चिह्न है
जिसे उल्टा पढ़ने पर मछली
मछली नहीं रहती है आँख हो जाती है
आँख
आँख नहीं रहती है
आँसू बनकर चल देती है बाहर
हवा की तलाश में