Hindi Poem of Rituraj “Saman“ , “सामान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सामान

 Saman

वह ट्रेन में चढ़ गया था

उसे उतार लिया गया

उसका सामान दूसरे डिब्बे में था

वह डिब्बा किसी अनजाने स्टेशन पर

कट गया

वह शख़्स कहीं और था

उसका सामान कहीं और

उससे कहा गया

घर बैठे

उतनी ही मज़दूरी देंगे

और पीने को दारू

बस, मतदान के दिन पहुँच कर

वोट पंजे पर देना है

लौटे नहीं

बालाघाट के मज़दूर

दीवाली पहले जो गए थे

हर बरस इसी तरह

होने चाहिए चुनाव

सामान क्या था?

ओढ़ने-बिछाने की एक सदरी

कुछ टाट-टप्पड़

और दो धोतियाँ, दो-तीन कमीज़ें

पायज़ामा और एक पतीली

जिसमें ठूँस-ठूँस कर भर दिए

सत्तू, चावल, प्याज

चलो, भाई, चलो

तुम्हें ही देते हैं वोट

ठेकेदार को, तो देख लेंगे बाद में

जाना तो पड़ेगा, लेकिन जितनी गरज हमारी है, उसकी भी तो उतनी ही है

 

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