Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Ab koi gulshan na ujade“ , “अब कोई गुलशन ना उजड़े” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अब कोई गुलशन ना उजड़े

Ab koi gulshan na ujade 

अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है

रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है

खेतियाँ सोना उगाएँ, वादियाँ मोती लुटाएँ

आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है

मंदिरों में शंख बाजे, मस्जिदों में हो अज़ाँ

शेख का धर्म और दीन-ए-बरहमन आज़ाद है

लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने न पाए

आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है

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