Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Ishk ki garmi e jajbat kise pesh kaur“ , “इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ

 Ishk ki garmi e jajbat kise pesh kaur

इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ

ये सुलग़ते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ

हुस्न और हुस्न का हर नाज़ है पर्दे में अभी

अपनी नज़रों की शिकायात किसे पेश करूँ

तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें

वो तस्सव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ

ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल

अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ

कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले

दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ

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