Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Khuddariyo ke khun ko arja na kar sake” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ख़ुद्दारियों के ख़ून को अरज़ां न कर सके

 Khuddariyo ke khun ko arja na kar sake

ख़ुद्दारियों के ख़ून को अरज़ाँ न कर सके

हम अपने जौहरों को नुमायाँ न कर सके

होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये

लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके

टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह

फिर आरज़ू की शमा फ़ुरेज़ाँ न कर सके

हर शय क़रीब आ के कशिश अपनी खो गई

वो भी इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ न कर सके

किस दरजा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे

हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके

मायूसियों ने छीन लिये दिल के वल-वले

वो भी निशात-ए-रूह का सामाँ न कर सके

 

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