Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Mene to geet tere pyar ki khatir likhe“ , “मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे

 Mene to geet tere pyar ki khatir likhe

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे

आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ

आज दुकान पे नीलाम उठेगा उन का

तूने जिन गीतों पे रक्खी थी मुहब्बत की असास

आज चाँदी की तराज़ू में तुलेगी हर चीज़

मेरे अफ़कार मेरी शायरी मेरा एहसास

[असास=नींव; अफ़कार=लेख]

जो तेरी ज़ात से मनसूब थे उन गीतों को

मुफ़्लिसी जिन्स बनाने पे उतर आई है

भूक तेरे रुख़-ए-रन्गीं के फ़सानों के इवज़

चंद आशिया-ए-ज़रूरत की तमन्नाई है

[मनसूब= जुडे हुए; मुफ़्लिसी= गरीबी]

[जिन्स= वस्तु; इवज़= बदले में]

देख इस अर्सागह-ए-मेहनत-ओ-सर्माया में

मेरे नग़्में भी मेरे पास नहीं रह सकते

तेरे ज़लवे किसी ज़रदार की मीरास सही

तेरे ख़ाके भी मेरे पास नहीं रह सकते

[अर्सागह-ए-मेहनत-ओ-सर्माया= पैसे और मजदूरी की लडाई में]

[ज़रदार=अमीर; मीरास=जायदाद; ख़ाके= रूप]

आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ

मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे

 

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