न मुँह छुपा के जियो
Na muh chupa ke jiyo
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ग़मों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जियो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
घटा में छुपके सितारे फ़ना नहीं होते
अँधेरी रात में दिये जला के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ना जाने कौन-सा पल मौत की अमानत हो
हर एक पल की खुशी को गले लगा के जियो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ये ज़िंदगी किसी मंज़िल पे रुक नहीं सकती
हर इक मक़ाम पे क़दम बढ़ा के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो