Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Nazare kalij“ , “नज़रे-कालिज” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नज़रे-कालिज

 Nazare kalij

ऐ सरज़मीन-ए-पाक़ के यारां-ए-नेक नाम

बा-सद-खलूस शायर-ए-आवारा का सलाम

ऐ वादी-ए-जमील मेंरे दिल की धडकनें

आदाब कह रही हैं तेरी बारगाह में

तू आज भी है मेरे लिए जन्नत-ए-ख़याल

हैं तुझ में दफन मेरी जवानी के चार साल

कुम्हलाये हैं यहाँ पे मेरी ज़िन्दगी के फूल

इन रास्तों में दफन हैं मेरी ख़ुशी के फूल

तेरी नवाजिशों को भुलाया न जाएगा

माजी का नक्श दिल से मिटाया न जाएगा

तेरी नशात खैज़-फ़ज़ा-ए-जवान की खैर

गुल हाय रंग-ओ-बू के हसीं कारवाँ की खैर

दौर-ए-खिजां में भी तेरी कलियाँ खिली रहे

ता-हश्र ये हसीं फज़ाएँ बसी रहे

हम एक ख़ार थे जो चमन से निकल गए

नंग-ए-वतन थे खुद ही वतन से निकल गए

गाये हैं फ़ज़ा में वफाओं के राग भी

नगमात आतिशें भी बिखेरी है आग भी

सरकश बने हैं गीत बगावत के गाये हैं

बरसों नए निजाम के नक्शे बनाए हैं

नगमा नशात-रूह का गाया है बारहा

गीतों में आंसूओं को छुपाया है बारहा

मासूमियों के जुर्म में बदनाम भी हुए

तेरे तुफैल मोरिद-ए-इलज़ाम भी हुए

इस सरज़मीन पे आज हम इक बार ही सही

दुनिया हमारे नाम से बेज़ार ही सही

लेकिन हम इन फ़ज़ाओं के पाले हुए तो हैं

गर यां नहीं तो यां से निकाले हुए तो हैं!

 

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