Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Sanjh ki lali sulag sulag kar“ , “सांझ की लाली सुलग-सुलग कर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सांझ की लाली सुलग-सुलग कर

 Sanjh ki lali sulag sulag kar

सांझ की लाली सुलग-सुलग कर बन गई काली धूल

आए न बालम बेदर्दी मैं चुनती रह गई फूल

रैन भई, बोझल अंखियन में चुभने लागे तारे

देस में मैं परदेसन हो गई जब से पिया सिधारे

पिछले पहर जब ओस पड़ी और ठन्डी पवन चली

हर करवट अंगारे बिछ गए सूनी सेज जली

दीप बुझे सन्नाटा टूटा बाजा भंवर का शंख

बैरन पवन उड़ा कर ले गई परवानों के पंख

 

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