Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Sathi hath badhana“ , “साथी हाथ बढ़ाना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

साथी हाथ बढ़ाना

Sathi hath badhana

साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना

एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना

साथी हाथ बढ़ाना

हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया

सागर ने रस्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया

फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें

हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें,

साथी हाथ बढ़ाना

मेहनत अपनी लेख की रेखा मेहनत से क्या डरना

कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना

अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक

अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक,

साथी हाथ बढ़ाना

एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया

एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा

एक से एक मिले तो राई बन सकती है पर्वत

एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत,

साथी हाथ बढ़ाना

माटी से हम लाल निकालें मोती लाएँ जल से

जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से

कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें

हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें,

साथी हाथ बढ़ाना

 

One Response

  1. lochan October 21, 2023

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