Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Subhe noroz“ , “सुबहे-नौरोज़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुबहे-नौरोज़

 Subhe noroz

फूट पड़ी मशरिक से किरने

हाल बना माज़ी का फ़साना, गूंजा मुस्तकबिल का तराना

भेजे हैं एहबाब ने तोहफ़े, अटे पड़े हैं मेज़ के कोने

दुल्हन बनी हुई हैं राहें

जश्न मनाओ साल-ए-नौ के 

निकली है बंगले के दर से

इक मुफ़लिस दहकान की बेटी, अफ़सुर्दा, मुरझाई हुई-सी

जिस्म के दुखते जोड़ दबाती, आँचल से सीने को छुपाती

मुट्ठी में इक नोट दबाये

जश्न मनाओ साल-ए-नौ के

भूके, ज़र्द, गदागर बच्चे

कार के पीछे भाग रहे हैं, वक़्त से पहले जाग उठे हैं

पीप भरी आँखें सहलाते, सर के फोड़ों को खुजलाते

वो देखो कुछ और भी निकले

जश्न मनाओ साल-ए-नौ के

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.