Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Bhediye ki aankhe surkh he“ , “भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं

 Bhediye ki aankhe surkh he

भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं।

उसे तबतक घूरो

जब तक तुम्हारी आंखें

सुर्ख न हो जाएं।

और तुम कर भी क्या सकते हो

जब वह तुम्हारे सामने हो?

 

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