Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Chamak“ , “चमक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चमक

 Chamak

चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ

चमक है पसीने की

कसी हुई मांसपेशियों पर,

चमक है ख़्वाबों की

तनी हुई भृकुटी पर ।

चमक सुर्ख, तपे लोहे की घन में,

चमक बहते नाले की

शांत सोये वन में ।

उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा

हर हादसे में आए ज़ख़्मों को सिऊँगा |

 

 

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