Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Ek suni naav“ , “एक सूनी नाव” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक सूनी नाव

 Ek suni naav

एक सूनी नाव

तट पर लौट आई।

रोशनी राख-सी

जल में घुली, बह गई,

बन्द अधरों से कथा

सिमटी नदी कह गई,

रेत प्यासी

नयन भर लाई।

भींगते अवसाद से

हवा श्लथ हो गईं

हथेली की रेख काँपी

लहर-सी खो गई

मौन छाया

कहीं उतराई।

स्वर नहीं,

चित्र भी बहकर

गए लग कहीं,

स्याह पड़ते हुए जल में

रात खोयी-सी

उभर आई।

एक सूनी नाव

तट पर लौट आई।

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