Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Hansa jor se jab“ , “हँसा ज़ोर से जब” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हँसा ज़ोर से जब

 Hansa jor se jab

हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया

बोली इसका पेट भरा है

और फूट कर रोया जब

तब बोली नाटक है नखरा है

जब गुमसुम रह गया, लगाई

तब उसने तोहमत घमंड की

कभी नहीं वह समझी इसके

भीतर कितना दर्द भरा है

दोस्त कठिन है यहाँ किसी को भी

अपनी पीड़ा समझाना

दर्द उठे तो, सूने पथ पर

पाँव बढ़ाना, चलते जाना

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