Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Ishwar“ , “ईश्वर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ईश्वर

 Ishwar

बहुत बडी जेबों वाला कोट पहने

ईश्वर मेरे पास आया था,

मेरी मां, मेरे पिता,

मेरे बच्चे और मेरी पत्नी को

खिलौनों की तरह,

जेब में डालकर चला गया

और कहा गया,

बहुत बडी दुनिया है

तुम्हारे मन बहलाने के लिए।

मैंने सुना है,

उसने कहीं खोल रक्खी है

खिलौनों की दुकान,

अभागे के पास

कितनी जरा-सी पूंजी है

रोजगार चलाने के लिए।

जब-जब सिर उठाया

जब-जब सिर उठाया

अपनी चौखट से टकराया।

मस्तक पर लगी चोट,

मन में उठी कचोट,

अपनी ही भूल पर मैं,

बार-बार पछताया।

जब-जब सिर उठाया

अपनी चौखट से टकराया।

दरवाजे घट गए या

मैं ही बडा हो गया,

दर्द के क्षणों मेंकुछ

समझ नहीं पाया।

जब-जब सिर उठाया

अपनी चौखट से टकराया।

‘शीश झुका आओ बोला

बाहर का आसमान,

‘शीश झुका आओ बोली

भीतर की दीवारें,

दोनों ने ही मुझे

छोटा करना चाहा,

बुरा किया मैंने जो

यह घर बनाया।

जब-जब सिर उठाया

अपनी चौखट से टकराया।

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